Join Group

छत्तीसगढ़ संविदा कर्मचारियों की 10 सूत्रीय माँगें और नियमितीकरण की लड़ाई: जानिए क्यों ज़रूरी है नियमितीकरण?

प्रकाशित: · अंतिम अपडेट: 04

#CGSamvida
#NHMStrike
#EqualPay
#PublicHealth
छत्तीसगढ़ संविदा कर्मचारियों की 10 सूत्रीय माँगें और नियमितीकरण की लड़ाई
सामग्री सूची (Table of Contents)
  1. भर्ती की मुख्य जानकारी
  2. हड़ताल: अभी क्या स्थिति है?
  3. संविदा कर्मचारियों की 10 मुख्य माँगें
  4. सरकार की प्रतिक्रिया और कर्मचारियों की पीड़ा
  5. अन्य राज्यों से सीख: क्या नियमितीकरण संभव है?
  6. सामाजिक और राजनीतिक समर्थन
  7. जनहित का तर्क: नियमितीकरण से क्या लाभ?
  8. सरकार की चिंताएँ—और व्यावहारिक समाधान
  9. आम जनता से अपील
  10. निष्कर्ष
  11. FAQ

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत 16,000 से अधिक संविदा कर्मचारी
पिछले कई वर्षों से असुरक्षित नौकरी और सीमित वेतन में काम कर रहे हैं।
अगस्त 2025 से इन कर्मचारियों ने अपनी 10 सूत्रीय माँगों को लेकर
अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। इस आंदोलन ने पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर डाला है और अब यह सवाल खड़ा हो गया है—
क्या संविदा प्रथा खत्म कर इन कर्मचारियों को नियमित किया जाना चाहिए?

हड़ताल: अभी क्या स्थिति है?

  • हड़ताल 18 अगस्त 2025 से जारी—राज्यभर में सेवाएँ प्रभावित।
  • सरकार की “No Work, No Pay” नीति लागू; अनुपस्थित कर्मियों पर नोटिस/कार्रवाई।
  • कई ज़िलों में टीकाकरण/ओपीडी पर दबाव; नियमित स्टाफ पर भार बढ़ा।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के 25 अधिकारी-कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश से नाराज़ होकर एनएचएम कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया।
  • कर्मचारी संघों का कहना—160+ ज्ञापन/10 सूत्रीय चार्टर पहले ही सौंप चुके।
  • राज्यस्तर पर अन्य महासंघों (CKAF आदि) का समर्थन; कलमबंद/पेन-डाउन जैसे कार्यक्रम।

संविदा कर्मचारियों की 10 मुख्य माँगें

  1. संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण
  2. 27% वेतन वृद्धि (केंद्र सरकार के समान)
  3. सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडर का गठन
  4. ग्रेड पे का प्रावधान
  5. अनुकम्पा नियुक्ति नीति
  6. 10 लाख रुपये तक का कैशलेस मेडिकल इंश्योरेंस
  7. समान कार्य के लिए समान वेतन
  8. पारदर्शी सेवा शर्तें
  9. अनुचित स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक
  10. स्थायी सेवा सुविधाएँ (पेंशन, अवकाश, भत्ते आदि)

सरकार की प्रतिक्रिया और कर्मचारियों की पीड़ा

राज्य सरकार ने आंदोलन को रोकने के लिए “No Work, No Pay” नीति लागू कर दी और कई कर्मचारियों को नोटिस जारी किए।
इससे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति और अधिक खराब हो गई है।

कर्मचारियों का कहना है—

“हम वही काम करते हैं जो नियमित कर्मचारी करते हैं, लेकिन हमें आधा भी वेतन नहीं मिलता। यह हमारे साथ अन्याय है।”

अन्य राज्यों से सीख: क्या नियमितीकरण संभव है?

ओडिशा ने अक्टूबर 2022 में 57,000 संविदा कर्मियों को एक साथ नियमित कर दिया और संविदा भर्ती व्यवस्था समाप्त करने की घोषणा की—यह एक पॉलिसी-लेवल मिसाल है।

हिमाचल प्रदेश में 2025 के हालिया आदेशों/निर्णयों में सिद्धांततः 2 साल की निरंतर संविदा सेवा पूर्ण करने वाले कर्मचारियों के नियमितीकरण के प्रावधान/मामले सामने आए हैं; साथ ही 2025 में कॉन्ट्रैक्ट की जगह “ट्रेनी” सिस्टम की नई भर्ती व्यवस्था लागू की गई है।

राजस्थान में 2023-24 से विभागवार चरणबद्ध नियमितीकरण/समायोजन और संविदा पदों के पुनर्गठन की खबरें-आदेश आए—स्वास्थ्य/शिक्षा सहित बड़े कैडरों में प्रगति की रिपोर्टिंग हुई है।

इन उदाहरणों से साफ है कि अगर अन्य राज्य संविदा कर्मचारियों को नियमित कर सकते हैं तो
छत्तीसगढ़ में भी यह संभव है

सामाजिक और राजनीतिक समर्थन

इस आंदोलन को Chhattisgarh Karmachari Adhikar Federation (CKAF) का समर्थन मिला है,
जिसके साथ 4.1 लाख कर्मचारी और 1.45 लाख पेंशनभोगी जुड़े हैं।
इससे यह साफ है कि यह संघर्ष केवल स्वास्थ्य विभाग का नहीं बल्कि पूरे राज्य के कर्मचारियों का है।

जनहित का तर्क: नियमितीकरण से क्या लाभ?

  • सेवा निरंतरता: स्थिर मैनपावर से ओपीडी, टीकाकरण, मातृ-शिशु सेवाएँ बाधित नहीं होतीं।
  • गुणवत्ता व जवाबदेही: दीर्घकालिक कर्मी बेहतर प्रशिक्षण लेते हैं, टर्नओवर घटता है।
  • ग्रामीण-दूरस्थ क्षेत्रों का कवरेज: पोस्टिंग टिकाऊ होती है, समुदाय का भरोसा बढ़ता है।
  • डेटा व प्रोग्राम मैनेजमेंट: अनुभवी कर्मियों से HMIS/सूचक बेहतर होते हैं।

सरकार की चिंताएँ—और व्यावहारिक समाधान

  • वित्तीय बोझ: चरणबद्ध नियमितीकरण + रिक्तियों का युक्ति-संगत मानचित्रण + प्रदर्शन-लिंक्ड इंक्रीमेंट।
  • सेवा अनुशासन: आचार-संहिता, KPI और e-HRMS से अनुपालन सुनिश्चित।
  • कानूनी स्पष्टता: स्पष्ट पात्रता कट-ऑफ, एकमुश्त समायोजन नियम, पारदर्शी सूची।

संविदा कर्मचारी सिर्फ वेतन नहीं, बल्कि सम्मान और भविष्य की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं।
आम जनता से अपील है कि वे इस आंदोलन की आवाज़ बनें और कर्मचारियों के साथ खड़े हों।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ के संविदा कर्मचारियों का संघर्ष केवल अपनी नौकरी का नहीं बल्कि
समानता, न्याय और गरिमा का है।
आज जरूरत है कि सरकार संविदा कर्मियों की जायज़ माँगों को समझे और
अन्य राज्यों की तरह इन्हें नियमित करने का ठोस कदम उठाए।

FAQ

प्र1. No Work, No Pay’ का क्या मतलब है?
— हड़ताल अवधि के लिए वेतन रोकना; हालिया आदेशों में NHM संविदा कर्मचारियों पर लागू किया गया।

प्र2. क्या अन्य राज्यों ने संविदा कर्मियों को नियमित किया है?
— हाँ— ओडिशा ने 57,000 संविदा कर्मियों को एक साथ नियमित किया; हिमाचल में 2 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर नियमितीकरण नीति/निर्णय; राजस्थान में चरणबद्ध नियमितीकरण प्रक्रियाएँ रिपोर्ट हुईं।

प्र3. नियमितीकरण से जनता को क्या लाभ?
— स्थिर मैनपावर से सेवाएँ बाधित नहीं होतीं, अनुभव टिके रहते हैं, जवाबदेही व गुणवत्ता बेहतर होती है।

Author Image

Jay Manhar | Founder (CG Naukri)

मेरा नाम जय मनहर है। मैं एक रचनात्मक कंटेंट लेखक और रिसर्चर हूँ, जिसे ऐसा कंटेंट बनाने का जुनून है जो न केवल सटीक और उपयोगी हो, बल्कि पढ़ने वालों पर गहरी छाप छोड़े। पिछले चार से अधिक वर्षों से मैं शिक्षा और नौकरी भर्ती से जुड़े विषयों पर काम कर रहा हूँ।



Scroll to Top